सफल विजय अभिषेक समझ लो - कविता - डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज'

समझ परीक्षा जीवन भर यह, 
त्याग शील गुण कर्म समझ लो।
नीति प्रीति शिक्षा सत्पथ यश, 
निर्भर कृत सद्धर्म समझ लो।

विविध परीक्षा रुप जगत में, 
इंगित और संकेत समझ लो।
सहज परीक्षा लिखित मौखिक, 
सफल विजय अभिषेक समझ लो।

सुख दुख ग़म ख़ुशियाँ सम सब में, 
कठिन परीक्षा मान समझ लो।
धीर वीर साहस पथ सम्बल, 
सफल धेय अभियान समझ लो।

रोग शोक परिताप दुःख जग, 
सुख में जो सम मान समझ लो।
कँटिल परीक्षा अटल खड़ा जो,  
सिद्धि सुयश सम्मान समझ लो।

कोराना की त्रासदी जटिल, 
कठिन चुनौती आज समझ लो।
आज परीक्षा धैर्य मनोबल,   
मिलकर हो इलाज समझ लो।

पटा मनुज जग मोह लोभ में, 
खली नीति पहचान समझ लो।
काम क्रोध अति लोभ छली मन, 
कहाँ परीक्षा मान समझ लो।

उद्योगी मनुज रत तप साधन,
अध्ययन निरत पाठक समझो।
ज्ञान परीक्षा सदा प्रगति जन,  
बाँध मनुज यह गाँठ समझ लो।

नीति प्रीति पथ विरत जगत जो, 
मिथ्या छल मृदुभास समझ लो।
कामी मद वंचक खल दुर्जन, 
करे मनुज संत्रास समझ लो।

दुर्गम पथ साधक मिहनत नित, 
मधुर भाष सच प्रीत समझ लो।
हर रिश्तों की कठिन परीक्षा,    
बनें मीत नवनीत समझ लो।

शान्ति कान्ति मुस्कान जगत में, 
चापलूस अनज़ान समझ लो।
जाने क्या संवेदन दुर्जन,    
परीक्षा से अज्ञान समझ लो।

रखो हृदय विश्वास स्वयं में, 
कर्मवीर तप साधक समझो।
विजय भाव उम्मीद सदा रख, 
स्वाभिषेक निर्बाधित समझो।

डॉ॰ राम कुमार झा 'निकुंज' - नई दिल्ली

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