श्री हरि आज लिए अवतार,
ख़ुशियाँ मना रहा संसार।
कृष्ण रूप में आए ईश्वर,
किए दुष्टों का संहार।
ख़ुशियाँ मना रहा संसार।।
रात अंधेरी ऋतू वर्षा की,
तिथि अष्टमी भद्रपद की।
कंस का कारागार,
जिसमें लिए हरी अवतार,
ख़ुशियाँ मना रहा संसार।।
खुली बेड़ियाँ खुल गए फाटक,
सो गए पहरेदार।
वसुदेव नंद बाबा को,
दे आए कृष्ण मुरार।
ख़ुशियाँ मना रहा संसार।
करी बाल लीला प्रभु गोकुल,
सारी यमुना पार।
जान गया कंस भी एक दिन,
लिया काल अवतार।
ख़ुशियाँ मना रहा संसार।।
भेज बुलावा कंस बुलाया,
मथुरा नंद कुमार।
मल्ल युद्ध हुआ अति भारी,
प्राण कंस गया हार।
ख़ुशियाँ मना रहा संसार।।
आज अष्ठमी आई भादों की,
दिवस कृष्ण अवतार।
मची धूम हर घर मन्दिर में,
सजे हुए दरबार।
ख़ुशियाँ मना रहा संसार।।
नृपेंद्र शर्मा 'सागर' - मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश)