सोचो तुम विचार करो तुम,
सबसे अच्छा व्यवहार करो तुम।
पैसा तुम्हारा, तुम्हारे काम आएगा,
किसी को नहीं तुम देने वाले।
ग़ुरूर जो घर कर गया गर दिल में,
फिर नहीं उजाले उत्कर्ष के होने वाले।
इसलिए कहता हूँ तुझे प्यारे,
झुककर नमस्कार करो तुम।
सोचो...
झुकना कोई बुरी बात नहीं,
झुकना तू स्वभाव बना ले।
दीन-दुखियों के प्रति दया भाव,
तू दिल के जज़्बात बना ले।
उठ जाएगा अंबर से ऊँचा,
जो ऐसे संस्कार रखो तुम।
सोचो...
अकड़कर मत चल तू प्यारे,
ये जिन्दा मुर्दे की पहचान।
छिपा है तू स्वयं के भीतर,
तू पहले ख़ुद को जान।
पहचान ले जो अपने आत्म को,
वो इंसान बनो तुम।
सोचो...
धारा परोपकार की है ये,
गोते लगा ले तू इसमें।
हृदय इक बाग़ है तेरा,
पौधा मानवता का लगा ले तू इसमें।
गाए सारा जहाँ तुम्हारा तराना,
ऐसे महान बनो तुम।
सोचो...
शिवचरण सदाबहार - सवाई माधोपुर (राजस्थान)