क्या मिल जाएगा तुम को हम पर इल्ज़ाम लगाने से - ग़ज़ल - सुखवीर चौधरी

अरकान: मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
तक़ती: 1222 1222 1222 1222

क्या मिल जाएगा तुम को हम पर इल्ज़ाम लगाने से।
सूरज पर कुछ फ़र्क नहीं आता है धूल उड़ाने से।।

झूठ नहीं सच हो जाएगा ऐसे शोर मचाने से,
बात उलझ भी सकती है इन बातों के सुलझाने से।

तुम तो शायद भूल गई होंगी वो बात जवानी की,
छत पर मिलने आते थे हम तुम से रोज़ बहाने से।

सब ने तुम को समझाया पर तुम ने बात नहीं मानी,
चिड़िया चुग जब खेत गई अब क्या होगा पछताने से।

हर कोई जो खेल सके ये खेल नहीं बच्चों वाला,
रोज़ लड़ाई लड़नी पड़ती है ख़ुदग़र्ज़ ज़माने से।

सुखवीर चौधरी - मथुरा (उत्तर प्रदेश)

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos