नूरफातिमा खातून "नूरी" - कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
सुहानी ढलती शाम हो - कविता - नूरफातिमा खातून "नूरी"
शुक्रवार, जुलाई 16, 2021
दिल में यादें तमाम हो,
सुहानी ढलती शाम हो।
यादें याद आती रही,
हँसाती, रुलाती रही,
बुलबुल चहचहाती रही,
बारिश में ये नहाती रही।
ज़ुबान पर तेरा नाम हो,
सुहानी ढलती शाम हो।
सूरज पश्चिम ढलने लगा,
चाँद भी निकलने लगा,
हवा तेज़ बहने लगा,
तारा भी चमकने लगा।
हाथ में सुकून जाम हो,
सुहानी ढलती शाम हो।
पसरती ख़ामोशी हो,
ना कहीं मायुसी हो,
कौवों की जासूसी हो,
बच्चों की कानाफूसी हो।
बे-फ़िक्र ना कोई काम हो,
सुहानी ढलती शाम हो।
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