जन्मदिन - कविता - आराधना प्रियदर्शनी

प्रणय प्रयाण होता है घर में,
देते हैं सब मुबारकबाद।
छोटे प्यार देते हैं हमको,
बड़े देते हैं आशीर्वाद।।

हर साल जो आता उत्साह लेकर,
ख़ुशियों से भरा है जो।
याद रखो हर पल जिसे तुम, 
वह त्यौहार तुम्हारा जन्मदिन।।

हर कोई बधाई देता है,
कहता है मिले जीवन में तुम्हें तृप्ति।
रहे तू सर्वश्रेष्ठ हमेशा,
ऐसी हो तेरी ख्याति कीर्ति।।

सबके हँसते होठों पर,
नाम तुम्हारा होता है।
जितनी आने की ख़ुशी होती है इस लम्हे की,
उतना ही जाने का ग़म होता है।।

पर बीत जाता है इंतज़ार का वक़्त,
फिर कोयल गीत सुनाती है।
फिर से ख़ुशी उमंग लिए,
अगले वर्ष वह घड़ी फिर वापस आती है।।

कहने को तो उत्सव यह दिन,
जिसे सारा जग मनाता है।
सच पूछो तो जीवन की अवधि ही नहीं,
और एक वर्ष कम हो जाता है।।

फिर भी उमंग उल्लास से अभिभूत होकर,
हम सपनों का जहान सजाते हैं।
परम सत्य से परिचित होते हुए भी,
हर वर्ष जन्मदिन मनाते हैं।।

आराधना प्रियदर्शनी - बेंगलुरु (कर्नाटक)

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