दिल का लगाना कब तक - गीत - शमा परवीन

ये उदासी की छाया रहेगीं कब तक,
ये दिल का लगाना रहेगा कब तक। 

सब कुछ पहले की तरह कब होगा,
ये सब ना जाने ठीक होगा कब तक।

सब बन्द अपने घर में पंछियों की तरह,
भला परों का फड़फड़ाना कब तक।

ज़िंदगी ज़िंदादिली से गुज़रने दो दोस्तों,
यूँ सहम कर घबरा कर जीना कब तक।

ये दिन भी सबक़ दे कर ही जाएगा,
देखना ये हैं याद रहेगा कब तक।

शमा परवीन - बहराइच (उत्तर प्रदेश)

साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिये हर रोज साहित्य से जुड़ी Videos