नवरात्रि - कविता - महेन्द्र सिंह राज

नवरात्रि के नौ दिन, माँ दुर्गा की पूजा होती है।
जो सच्चे मन से पूजा करता, माँ उनके पापों को धोती हैं।। 

अलग2 दिन अलग अलग, नामों से जानी जाती हैं। 
सर्वे विघ्न निवारण करती, सर्व सिद्धि की दात्री हैं।।

प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री, शशिदोष निवारण करती हैं। 
भक्तों के कल्पित दोषों को माँ पल भर में ही हरती हैं।।

द्वितीय तिथि माँ ब्रह्मचारिणी की, जो मनसे पूजा करता।
माता मंगल दोष काटती, ना वह मंगल दोष से डरता।।

तृतीय दिवस माँ चन्दघंटा, निवारण करती हैं शुक दोष।
राक्षसी प्रवृत्ति ना आने देती, ना होने पाता भक्त मदहोश।। 

चतुर्थ दिवस माँ कुष्मांडा का, दूर करती हैं दिनकर दोष।
रवि सम तेज पुंज पाता, खुल जाता उसका भाग्य कोष।।

माँ स्कंद माता का पंचम दिन, जो उनकी शरण में जाए।
बुद्ध दोष निवारण हो जाता, बद्धि तीव्र प्रखर हो जाए।।

षष्टि तिथि माँ कात्यायनी का, वृहस्पति दोष ना लग पाता है।
जो भक्त प्रेम से पूजे उनको, वृहस्पति सम बुद्धि पाता हैं।।

कालरात्रि का सप्तम तिथि, जिनपर उनकी कृपा हो जाए।
मांसिक शांति मिले जन को, शनि का दोष दूर हो जाए।।

जो भक्त अष्टम तिथि को, महागौरी की पूजा करता है।
राहू दोष निवारण होता, उससे राहू भी उससे डरता है।।

नवमी दिवस सिद्धिदात्री का, जो केतु दोष मिटाती है।
मन में पनप रहे दोषों को, भक्त के मन से दूर भगाती हैं।।

नारी शक्ति की याद दिलाता, नवरात्रि का यह पावन पर्व। 
हर माँ बहन बेटी सुरक्षित हो, तब होगा सफल मनाना पर्व।।

तन धन से पूजा करें शक्ति का, मन में तनिक रखें ना खोट।
पूजा तेरी सफल तब होगी, जब नारी मन को लगे न चोट।। 

महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)

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