मैं तेरा चाँद हूँ, तू मेरी चाँदनी।
तू रोशनी बनकर जगमगाती रहे।।
मैं तेरा राग हूँ, तू मेरी रागिनी।
तू सरगम बनकर गुनगुनाती रहे।।
मैं तेरा शायर हूँ, तू मेरी शायरी।
तू ग़ज़ल बनकर दास्ताँ सुनाती रहे।।
मैं तेरा गीत हूँ, तू मेरी गायकी।
तू संगीत बनकर ताल मिलाती रहे।।
मैं तेरा दिल हूँ, तू मेरी धड़कन।
तू श्वास बनकर आती जाती रहे।।
मैं तेरा चाँद हूँ, तू मेरी चाँदनी।
तू रोशनी बनकर जगमगाती रहे।।
कानाराम पारीक "कल्याण" - साँचौर, जालोर (राजस्थान)