बात बिगड़ गई बात बताने में - ग़ज़ल - रोहित गुस्ताख़

अरकान : फ़ेल फ़ऊलुन फ़ेल फ़आल
तक़ती : 21 122 21 121

बात बिगड़ गई बात बताने में,
यार हिचकते हाथ मिलाने में।

चौकीदार चुरा ले गया जेबर,
लोग बिजी थे फूल लगाने में।

देखी दुनिया तो जाना हमने,
सज्जन रहते पागलखाने में।

ख़तरे में मुस्तक़बिल बच्चों का,
लोग मगन हैं बस पैमाने में।

सेहत बन गई खूब सियासत की,
अख़बार लगे पाँव दबाने में।

रोहित गुस्ताख़ - दतिया (मध्य प्रदेश)

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos