अपने सब कामों से हैं सबको रिझाते।
भाई बहन प्यार के हैं गीत गुनगुनाते।।
साथ-साथ रहते हैं, साथ-साथ खाते।
साथ-साथ लड़ते झगड़ते खिलखिलाते।
खेलते हैं साथ-साथ, साथ-साथ पढ़ते-
नाचते हैं कूदते, साथ-साथ गाते।
भाई-बहन प्यार के हैं गीत गुनगुनाते।।
छोटा है भाई बहन थोड़ी बड़ी है।
भाई के लिये बहन तत्पर खड़ी है।
छोटा है भाई किन्तु खोटा बहुत है-
बहन स्नेह की एक मधुर फुलझड़ी है।
आपस में रूठते हैं और मान जाते।
भाई बहन प्यार के हैं गीत गुनगुनाते।।
बाहर का कोई यदि आँख भी दिखाए।
दोनों के हमले से तुरंत मात खाए।
घूमते टहलते हैं काम खूब करते-
काम सभी अच्छे हैं कोई कह न पाए।
दीनों के दुखियों के काम सदा आते।
भाई बहन प्यार के हैं गीत गुनगुनाते।।
श्याम सुन्दर श्रीवास्तव "कोमल" - लहार, भिण्ड (मध्यप्रदेश)