माँ शारदा स्तुति - लावणी छंद - महेन्द्र सिंह राज

माँ के चरणों की धूली को,
हम निज शीश चढा़ते हैं। 
उनके चरणों में हम सब नित,
अपना शीश झुकाते हैं।। 

हे मातु शारदे तेरा कर,
जिस पर भी पड़ जाता है।
अंधकूप से बाहर आता,
अमित ज्ञान धन पाता है।।

कर में सुन्दर वीणा राजे,
श्वेत वसन धारण करती।
अपने प्यारे भक्तों के भव,
अनायास माता हरती।।

तव किरपा प्रसाद से माता,
गूँगा भी बोलन लगता।
अज्ञान मिटे नए ज्ञान मिले,
माया मोह दूर भगता।।

श्वेत कमल पर बैठी माता,
हंस सवारी करती हो। 
निज भक्तों के कष्टों को माँ,
पल भर में ही हरती हो।।

तुमसे विनती मातु शारदे,
सकल भुवन का त्राण करो।
सबके सह सेवक का भी,
अज्ञान हर, कल्याण करो।। 

महेन्द्र सिंह राज - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)

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