दे दो अब संगीत प्रिये - गीत - शिव गोपाल अवस्थी

मेरी स्वप्निल कविताओं को, दे दो अब संगीत प्रिये।

कविताओं में प्रेम लिखा है, सागर की गहराई का,
सात सुरों का सूत्र लिखा है, राग लिखा शहनाई का,
लिखी अटलता ध्रुव तारे की, चंद्रमुखी का चाव लिखा,
ताजमहल की लिखी चाँदनी, अपना निर्मल भाव लिखा,
वासुकि कन्या सी चटकीली, बन जाओ मनमीत प्रिये।
मेरी स्वप्निल कविताओं को...

कविताओं में स्वप्न लिखे हैं, तनहाई की रात लिखी,
पीर लिखी पर्वत के दिल की, पुरवाई की बात लिखी,
शरमाई सी शाम लिखी है, और उनींदी भोर लिखी,
रीते घट पनघट के लिखकर, प्रेम पिपासा डोर लिखी,
सपनों के इस सौदागर के, पढ़ लेना तुम गीत प्रिये
मेरी स्वप्निल कविताओं को...

शिव गोपाल अवस्थी - इटावा (उत्तर प्रदेश)

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