अरकान : फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
तक़ती : 2122 1122 1122 22
मिल गया मुझको मेरे दिल की सुनाने वाला,
प्यार का छोटा सा एहसास जगाने वाला।
ग़म की दुनिया ने मुझे तार-तार कर डाला,
कैसा हमदर्द है वो मुझको रुलाने वाला।
रोज़ जिसके लिए करता रहा दुआ मैं भी,
बन गया आज मेरे दिल को दुखाने वाला।
कितनी बस्ती उजड़ गई तुम्हें पता है क्या,
ये वही शख़्स है हर घर को जलाने वाला।
याद उसकी मेरे दिल से कभी जाती ही नहीं,
मेरा हमराज़ मुझे प्यार जताने वाला।
दोस्त मिलते हैं बहुत आते जाते रस्ते में,
कोई मिलता ही नहीं मुझको हँसाने वाला।
इश्क़ बदनाम है दुनिया के इक फ़सानें से,
तुम भी रंजन बनो दुनिया को जगाने वाला।
आलोक रंजन इंदौरवी - इन्दौर (मध्यप्रदेश)