स्नेह के रंग - कविता - सुनील माहेश्वरी

प्यार के रंगों से,
भरो मधुरतम पिचकारी,
स्नेह के रंग से 
रंग दो दुनिया सारी,
ये रंग ना जाने,
कोई जात-पाँत न बोली,
दिल से दिल मिलाकर 
खेलो ये होली,
इस साल कुछ ऐसा कर दिखा दो,
भेद भाव द्बेष जलन को मिटा दो।
ये देश आपसी प्यार का भूखा है,
हर रिश्ता हमारा, प्यार को ढूँढता है।
चलो दोस्तो एक नई पहल करते हैं,
हर एक देशवाशी को प्यार से रंगते हैं।
आपसी सामजस्य से गुलाल लगाएँ,
प्यार का एक नया इतिहास रचाएँ,
हाथ से हाथ, गले से गले मिलाते चलो,
होली के रंग बिरंगे कलर लगाते चलो।
सफल हमारा मिशन तब ही होगा,
जब सच्चा प्यार इन रिश्तों में झलकेगा।
होली का असल अर्थ ही है
नफ़रत और घृणा को बाहर 
निकालकर प्रेम करो।
नफ़रतों की होलिका जलाओ,
प्रेम प्यार के रंग बरसाओ।

सुनील माहेश्वरी -दिल्ली

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