यहाँ रंगों की मस्ती है यहाँ रंगों की धारा है।
सुहानी लग रही धरती यहाँ मौसम भी प्यारा है।।
चलो रंगीन जलवे में मनाएं हम सभी होली,
यही खुशियों का ज़रिया है यही फागुन का नारा है।
ये नफ़रत को मिटाकर प्रेम की बरसात करती है,
इसे कहते हैं होली और ये सबको गंवारा है।
मिटाकर दूरियाँ सबकी यही संदेश देती है,
ये सदियों से हमारी खुशनसीबी का पिटारा है।
नहीं है धर्म का बंधन न कोई जाति का बंधन,
बड़ा छोटा सभी में इसने अपना रंग उतारा है।
ये भारत की धरा को एकता का सूत्र देती है,
यही सद्भावना की एक बहती गंग धारा है।
सभी हैं एक रंगों में करो पहचान तुम 'रंजन',
सभी शादीशुदा हैं कोई ना लगता कुंवारा है।
आलोक रंजन इंदौरवी - इन्दौर (मध्यप्रदेश)