शुक्रिया आपका - गीत - राम प्रसाद आर्य "रमेश"

न कवि हूँ कोई, न गायक हूँ मैं,
न पता कोइ मुझे, किस लायक हूँ मैं। 
शुक्रिया आपका, जो समझा मुझे,
के आपसे कह-कहे कुछ करने लायक हूँ मैं।। 
न कवि हूँ...

न सरासन-कौन्तेय, न एकलव्य-सायक हूँ मैं,
न विद्वान कोइ गुरु, ज्ञान दायक हूँ मैं। 
शुक्रिया आपका, जो समझा मुझे, 
के आपकी छत्र-छाया के लायक हूँ मैं।। 
न कवि हूँ...

न नेता कोई, न नायक हूँ मैं, 
न वृक्ष कोइ असल फल, छाँव दायक हूँ मैं। 
शुक्रिया आपका, जो समझा मुझे, 
के बोझ कर हर उठाने के लायक हूँ मैं।। 
न कवि हूँ...

मैंने समझा था बिन ब्रेक एक बायक हूँ मैं, 
बिन तरंग-रंग, उमंग जो, वो मायक हूँ मैं। 
शुक्रिया आपका, जो समझा मुझे, 
स्वर-ब-स्वर हर मिलाने के लायक हूँ मैं।। 
न कवि हूँ...

न श्रीढ़ी, मदीना, विनायक हूँ मैं, 
न भक्त-भगीरथ कोइ दृढ इच्छायक हूँ मैं। 
शुक्रिया आपका, जो समझा मुझे, 
के भजन-हरि हर गुनगुनाने के लायक हूँ मैं।।
न कवि हूँ...

राम प्रसाद आर्य "रमेश" - जनपद, चम्पावत (उत्तराखण्ड)

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