हाँ मैं वक़्त हूँ,
परिवर्तन हूँ।
देखा है अनंत काल से
और देखता रहूँगा
अब विचलित होता नही मैं
वीभत्स से
महा प्रलय से
सुख-दुःख से
हास्य-विनोद से,
सृजन-विनास से,
क्योंकि सम भाव का पाबन्द हूँ।
हाँ मैं वक़्त हूँ
परिवर्तन हूँ।
मैं ही ईश्वर हूँ,
अवतार!!
पता नही कब हुआ?
मैं कैसे जन्म ले सकता हूँ?
कौन क़िस्से गढ़ दिया धरा के कोने-कोने में?
हज़ारों नाम,
लाखों पद्धतियों में पूजा जाता हूँ
सब अंधविश्वास है
मैं सहज सरल ह्रृदयस्थ हूँ।
हाँ मैं वक़्त हूँ
परिवर्तन हूँ।
संजय राजभर "समित" - वाराणसी (उत्तर प्रदेश)