तुमसे मिलने के बाद - कविता - अमित अग्रवाल

अकेले सफ़र को हमसफ़र मिल गया,
हक़ीक़त को जैसे जादू सा कोई कर गया,
ना कुछ ख़्वाहिश अब, ना कोई है फ़रियाद,
सब कुछ बदल सा गया है तुमसे मिलने के बाद।

तुमसे ही हँसना, तुममे ही खोना,
ना नींद अब आँखों में, बस एक तेरा ही ख़्वाब सँजोना,
हर पल हर घड़ी सिर्फ तेरी ही तेरी याद,
सब कुछ बदल सा गया है तुमसे मिलने के बाद।

चल तो रही थी ज़िन्दगी अपनी रफ़्तार से,
तुमने ज़िन्दगी का मतलब सीखा दिया परवाह और प्यार से,
अब दूर होने की सोचकर भी लगता है जैसे सब बरबाद,
सब कुछ बदल सा गया है तुमसे मिलने के बाद।

सोचा ना था एक पागल मिल जाएगी ऐसी,
खोने की सोच से भी सिहर उठूँ, लगन हो गयी तुमसे वैसी,
तुम्हारे साथ ही मेरा हर लम्हा, तुमसे ही मेरा सब आबाद,
सब कुछ बदल सा गया है तुमसे मिलने के बाद।

अमित अग्रवाल - जयपुर (राजस्थान)

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