रिश्तों की अहमियत - कविता - विनय "विनम्र"

कुछ रिश्ते तुम कुछ हम सम्हालते हैं,
आओ इन रिश्तों को बच्चों की तरह पालते हैं।
दुश्वारियों की आँधियों में बिजलियों का शोर है,
एक रास्ता तुम एक दीपक हम निकालते है।
बहुत सी परिभाषा गढी जीवन की लोगों ने यहाँ,
अब कोई परिभाषा नहीं, हम हल निकालते हैं।।

विनय "विनम्र" - चन्दौली (उत्तर प्रदेश)

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