रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)
मातृभूमि - कविता - रमाकांत सोनी
बुधवार, फ़रवरी 03, 2021
मातृभूमि जन्मभूमि,
मात वीर वसुंधरा।
वंदन पावन धरती,
कण-कण में साहस भरा।
शौर्य पराक्रम शूरता,
लाल तेरे दिखलाते।
सरहद पर तैनात सेनानी,
गीत वंदे मातरम गाते।
फ़ौलादी जज़्बों से गूंजे,
स्वर जय मात भवानी।
अमर सपूतों ने अर्पण की,
वतन पे ख़ुद ज़िंदगानी।
भाल पर तिलक माटी का,
अरि दल से लोहा लेते।
भारत माता जयकार लगा,
रण में कौशल दिखला देते।
हिमशिखर थार मरुस्थल,
बाधाओं को पार करें।
मस्त बहारें वतन परस्ती,
लाल तेरे जयकार करें।
राष्ट्र धारा में निशदिन बहते,
राष्ट्र दीप जलाते हैं।
देश भक्ति में झूमे नाचे,
राष्ट्रगान गाते हैं।
गाँव-गाँव और डगर डगर पर,
जोत सदा देशप्रेम की जले।
जननी जन्मभूमि वंदन तेरा,
माँ लाल तेरे आँचल में पले।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर