मातृभूमि - कविता - रमाकांत सोनी

मातृभूमि जन्मभूमि, 
मात वीर वसुंधरा।
वंदन पावन धरती, 
कण-कण में साहस भरा। 

शौर्य पराक्रम शूरता, 
लाल तेरे दिखलाते। 
सरहद पर तैनात सेनानी, 
गीत वंदे मातरम गाते।

फ़ौलादी जज़्बों से गूंजे, 
स्वर जय मात भवानी। 
अमर सपूतों ने अर्पण की, 
वतन पे ख़ुद ज़िंदगानी। 

भाल पर तिलक माटी का, 
अरि दल से लोहा लेते। 
भारत माता जयकार लगा, 
रण में कौशल दिखला देते।

हिमशिखर थार मरुस्थल, 
बाधाओं को पार करें। 
मस्त बहारें वतन परस्ती, 
लाल तेरे जयकार करें। 

राष्ट्र धारा में निशदिन बहते, 
राष्ट्र दीप जलाते हैं। 
देश भक्ति में झूमे नाचे, 
राष्ट्रगान गाते हैं। 

गाँव-गाँव और डगर डगर पर,
जोत सदा देशप्रेम की जले। 
जननी जन्मभूमि वंदन तेरा, 
माँ लाल तेरे आँचल में पले।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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