शब्द महिमा - कविता - रमाकांत सोनी

शब्द ही गीत शब्द ही तान,
शब्द है सात सुरों का ज्ञान।
शब्द है एक सुंदर झंकार,
शब्द ही जीवन और संसार।

शब्द है व्यक्तित्व का दर्पण,
शब्द है परमेश्वर को अर्पण।
शब्द ही शक्ति का आधार,
शब्द ही घृणा शब्द ही प्यार।

शब्द अथाह सागर समेटे,
सुख वैभव सम्मान लपेटे।
शब्द ही मान प्रतिष्ठा जान,
शब्द में छिपा पारस पहचान।

शब्द सृष्टि का है मूल,
शब्द की शक्ति प्राणी न भूल।
शब्द को साधु संत ने जाना,
ज्ञानी योगी पंथ ने माना।

मृदुल हृदय गुणी विद्वान,
शब्द डाल दे सबमें जान।
शब्द को सोचो शब्द को जानो,
शब्द में छिपी शक्ति पहचानो।

शब्द है ईश्वर का स्वरूप,
शब्द है दर्शन सूक्ष्म अनूप।
शब्द ही रंक शब्द ही भूप,
शब्द ही छाँव शब्द ही धूप।

शब्द है वनोषधि का सार,
शब्द है अमृत का भंडार।
शब्द है जनक शब्द है कंत,
शब्द है आदि शब्द है अंत।

शब्द है पैनी खड्ग कटार,
शब्द है सुरक्षा का आधार।
शब्द बिना जीवन बेकार,
शब्द आत्मा का है तार।

राष्ट्र उन्नति का विस्तार,
चमके चंद्रमा शब्द से चार।
सोनी लेखनी नजर पसार,
स्वार्थ शब्द में डूबा संसार।

मार्ग विकट मुश्किलें अपार,
खड़ी चुनौती पंख पसार।
अपना और शब्द उपकार,
हो जाएगा बेड़ा पार।

रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)

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