यारों कोशिशें भी कमाल करती है - कविता - सुनील माहेश्वरी

यूँ ही नहीं मिल जाती मंज़िल,
सिर्फ एक पल भर सोचने से,
इंसान की कोशिशें भी कमाल करती हैं,
यूँ ही नहीं मिलती रब की मेहरबानी,
दर-ब-दर इबादत करनी पड़ती है,
गर तू प्रयत्नों की झडी़ लगाएगा,
हारते-हारते भी तू जीत जाएगा,
यारों ये कोशिशें ही कुछ कमाल करती हैं,
साधारण इंसान को भी महान बना देती है,
दोस्त तू जोश, जज़्बा अपना क़ायम रख, 
हौसलो की बरसात में भिगो के रख,
ये तेरी कोशिशें एक दिन साकार होंगी,
देख लेना तुझे भी मंज़िल मिल जाएगी,
ये कोशिशें ही हमें आशा प्रदान करती हैं,
छोटी-छोटी कोशिशें ही नये आयाम देती हैं,
कोशिशें ही हमें नयी-नयी राह दिखाती हैं,
कोशिशें ही हमें समस्या के हल दिलाती हैं,
सिर्फ़ हिम्मत और हौसला मत खोने देना,
कोशिशें दर-ब-दर तू करते रहना,
याद रख, यूँ ही नहीं रचते इतिहास पन्नों में, 
इंसान की मेहनत ही कुछ ऐसा रंग ले आती है,
कोशिशें ही कुछ ऐसा कमाल कर जाती हैं। 
हारे हुए बन्दे को भी बाजी जीता जाती हैं। 

सुनील माहेश्वरी - दिल्ली

Instagram पर जुड़ें



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos