नित नव आशा के पंख लगाकर,
अम्बर स्वच्छन्द उड़ान भरो तुम।
मन याद रखो नीलाभ सत्य पथ,
संघर्ष सिद्ध अभियान रखो तुम।
निर्भीत सबल धीरज मन साहस,
उद्देश्य नेक रख सदा उड़ो तुम।
न केवल राहत दिल भलसाहत,
संकल्प क्षितिज पथ ध्येय समझ तुम।
एकनिष्ठता तन मन सब अर्पित,
मति विवेक बल गतिमान बनो तुम।
आएँ बाधा तूफ़ान आंधियाँ,
रक्षक दुर्गम पथ स्वयं समझ तुम।
नवल आश कर्म नूतन पंख युगल,
अरुणाभ प्रगति नभ मुक्त उड़ो तुम।
बन आत्मनिर्भर रख स्वयं आस्था,
आनंद विहग पथ सुलभ समझ तुम।
नित उल्लास मनसि ख़ुद रहो होश,
जाग्रत सशक्त अरमान रखो तुम।
पुरुषार्थ पंख आशा विमान रथ,
खगराज सिद्धि पद जेय समझ तुम।
उड़न खटोला गिरि उत्तुंग शिखर,
सत्कार्य वतन यशगान करो तुम।
नव आश पंख परमार्थ भाव मन,
नैतिक उड़ान सद्भाव समझ तुम।
दे नव चिन्तन नव आश पंख बन,
उड़ चहुँदिक नभ खगवृन्द समझ तुम।
मानव मूल्यक हो क्षमा भाव,
प्रीति मीत नीति जन आश समझ तुम।
डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली