हे महावीर हनुमान, मुझपे दया करो
हे कलयुग के भगवान, मुझपे दया करो।
रोग - दोष तुम मेरे हर लेना
बल - बुद्धि तुम मुझको देना
सूं मैं मूर्ख नादान, मुझपे दया करो।
अन्न और धन के भंडारे भरना
संकट मेरे अब सारे हरना
घणा होरया सूं परेशान, मुझपे दया करो।
सुख - सम्पति देना मुझको
शाम - सवेरे ध्याऊँ मैं तुझको
तेरा रोज करूँ गुणगान, मुझपे दया करो।
राम - काज तुम करने वाले
सबकी झोली भरने वाले
करो मेरा भी कुछ ध्यान, मुझपे दया करो।
समुन्द्र सिंह सै तेरा पुजारी
सुनलो अब तो अर्ज हमारी
ना भूलूँ तेरा अहसान, मुझपे दया करो।
समुन्द्र सिंह पंवार - रोहतक (हरियाणा)