तुम हृदय की हो दिवाली,
जगमग रोशन हूँ मैं पूरा,
तेरा प्रेम मेरी ज़िंदगी है,
तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा।
तेरे संग सारी खुशियां है,
घर आँगन कहता कंगूरा,
कदम कदम पर तेरा सहारा,
तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा।
मनमंदिर की पावन ज्योति,
बिन बाती दीपक कहाँ पूरा,
मधुर मधुर मुस्कान लबों पर,
तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा।
तेरे नख़रे और नज़ाकत,
जादूगर संग ज्यों जमूरा,
दुनिया सारी लगे बेगानी,
तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा।
संघर्षों में ढाल बनो तुम,
मुश्किलों का करती चुरा,
प्रगति का सोपान तुम ही हो,
तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा।
तुम कीर्ति हो कीर्तिमान बन,
देती संवार मेरा गीत बेसुरा,
मेरा जीवन संगीत बने तब,
तुम बिन नूतन वर्ष अधूरा।
रमाकांत सोनी - झुंझुनू (राजस्थान)