प्यार की राह - कविता - अतुल पाठक "धैर्य"

जब कोई शख्स अपना लगने लगता है,
हाल-ए-दिल को अच्छा लगने लगता है।


मन की बात छुपते नहीं छुपती,
जब मन झलक दिखलाने लगता है।


बस वही इक चेहरा नज़र आने लगता है,
जब प्यार की राह पर कदम बढ़ाने लगता है।


मंज़िल की परवाह नहीं है उसको,
आख़िर वो रास्ते से प्यार जो करने लगता है।


कोशिश करके उसने लाख आजमां ली,
पर ये पागल दिल कहाँ संभलने लगता है।


यही तो प्यार है,
जो परवाना चढ़ने लगता है।


अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)


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