अर्धसैनिक बलों का संकल्प - कविता - गणपत लाल उदय

हम तो मुसाफ़िर है केवल तुम्हारी कश्ती के,
ज़िन्दगी जहाँ हमें कहेगी वही उतर जाएँगे।

क्यों कि हम देश सेवा और निष्टा के पुजारी,
चाहे कैसा भी हो मौसम रक्षा करेंगे तुम्हारी।

संकल्प जो हमने लिया सुरक्षा का तुम्हारा,
पीछे कदम ना रखेगा अर्धसैनिक बल सारा।

सीमा से लेकर संसद कारखाने से तहखाने,
जेल या न्यायालय मरूस्थल हो चाहे जंगल।

चाहे बर्फीले ये पहाड़ नदी नाले चाहे बीहड़,
तैनात रहते है सदैव जान हथेली पर लेकर।
 
हमने लिया है संकल्प धरा सुरक्षा का हरपल,
नसीब को भी वहाँ झुकना पड़ता है निश्छल।

किसको सुनाएँ हमारे अनकहे यह अल्फ़ाज़,
हम अर्ध सैनिक बल हिन्दुस्तान के जाँबाज़।

गणपत लाल उदय - अजमेर (राजस्थान)

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