स्वागत हो नववर्ष २०२१ का - दोहा छंद - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

नभ प्रभात अरुणिम किरण, हो नूतन  उत्कर्ष।
पौरुष बल अभिलाष  नव, आलोकित नववर्ष।।१।।

गंगा सम पावन विमल, मनुज हृदय उद्गार।
परमारथ  जीवन  बने, नवल प्रीति उपहार।।२।।

शील धीर साहस सबल, नित नवीन हो सोच।
मति  विवेक की तुला पर, तौल कर्म संकोच।।३।।

नीति रीति सच पथ नवल, मानक नित पुरुषार्थ।
जीवन  हो  अर्पित  वतन , ध्येय  धर्म    परमार्थ।।४।।

 चिर नवीन अभिलाष मन, भारत नव निर्माण। 
 धवल कीर्ति नूतन सुफल, हो सबका कल्याण।।५।।

बीस सौ बीस स्मृति पटल, अंतिम दिन सब भूल।
भूलें    सब  अवसाद   मन, नया   वर्ष  अनुकूल।।६।।

भ्रमर    गीत   नववर्ष  में,  करे   प्रीति  गुंजार।
बने  खुशी मुस्कान यश,शान्ति प्रगति आधार।।७।।

शान्ति सुखद खुशियाँ यहाँ, प्रीति नीति तहरीर।
सुगम  सफल  जीवन   बने, बदलेगी   तकदीर।।८।।

कोरोना इस काल से, सबको मिले निज़ात।
दो गज की दूरी रखें, पहन मास्क दिन रात।।९।।

मिटे द्वेष जन घृणा मन, मंगलमय दिल प्यार।
मानवता   नववर्ष  में, खिले   विश्व  परिवार।।१०।।

सीमा हो अभिव्यक्ति का, करें न राष्ट्र विरोध।    
नयी सोच  नव सर्जना, हो विकास नवशोध।।११।।

खिले चमन सुरभित सुमन, प्रगति वतन अविराम।
युवावर्ग  को   जीविका,  बने   राष्ट्र    सुखधाम।।१२।।

सर्वोपरि  नित  राष्ट्र हो, सीमा यश  सम्मान।
नया वर्ष रिपु दलन बन, करे पाक अवसान।।१३।।

 ध्वजा तिरंगा नित गगन, उड़े वतन बन शान।
 दहले   चीनी दरशती, रहेब शौर्य  बल  आन।।१४।।

बन सुशील सत्पथ विनत, करूँ समादर  देश।
रोग  शोक आपद रहित, प्रगति प्रीति परिवेश।।१५।।

स्वागत हो नववर्ष का, अभिनन्दन इक्कीस।
गन्धमाद मधु माधवी, मिटे व्याधि भय टीस।।१६।।

कवि निकुंज नववर्ष में, दें स्नेहिल शुभकाम।
एक  संघ छाया वतन, नीति प्रीति अभिराम।।१७।।

डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली

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