गज गामिनि वह दर्प दामिनी ,
कल कल करती सरिता ।
निर्झरिणी सी झर झर झरती ,
ज्यों कविवर की कविता ।
कोमल किसलय कुमकुम जैसी ,
कनक कामिनी वनिता ।
कोकिल कंठी कमल आननी,
ज्यों प्रभात की सविता ।
मृगनयनी वह मधुर भाषिणी ,
पुष्पगुच्छ की लतिका ।
कुंचित केश राशि सिर शोभित,
ज्यों कृष्ण नाग की मनिका ।
सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)