कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी - सहआदतगंज, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
एक शाम - कविता - कवि कुमार प्रिंस रस्तोगी
सोमवार, नवंबर 23, 2020
शाम-ए-अवध
तेरा दीदार हो गया,
सजी एक महफिल
में तेरा नाम हो गया।
फिर इतिहास के
पन्नों को पलट,
फलक पे तेरा
नाम आफताब हो गया।
गुजरे जमाने की शाम
में फिर रंगीन हो गई,
शाम-ए-अवध की महफिलें
फिर हसीन हो गई।
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