अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी" - कानपुर नगर (उत्तरप्रदेश)
शरद ऋतु का चाँद - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"
शनिवार, अक्तूबर 31, 2020
शरद ऋतु का चाँद
करे पुलकित अरमान
चीरता अंधकार मन का
दिखता उजियारा चहु ओर
मन मयूर नाच उठा
ले चन्दन सी आभा
स्वेत रंग बरसाए उजास
जैसे ओढ़ी चुनरिया आज
चमके झिलमिल सितारे
जगाये मन में प्रीत सारे
अमृत बर्षा करता आकाश
पूरी कर लो अपनी आस
दिव्य वातावरण की सर्जना
भर लो अंजुली सब जन
बदला युग संसार
न बदली छटा तुम्हारी
फैला रही शारदीय छटा
शुभ स्वेत चाँद सरोवर
फूटे जैसे धरती धरोहर
मानो गंगा बह रही
पापों को धो रही
शरद पूर्णिमा के मयंक
निकले रजत रश्मियों
बना जीवन में अनन्त
करें दूर अनगिनत भ्रांतियां
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