नारी शक्ति - कविता - अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी"

नारी शक्ति, साहस की पहचान।
ये ही, असीमित स्रोत है।।
वेदना संवेदना के सागर में।
न केवल, व्यथित ह्रदय की पीड़ा।।
नारी ही तो, बन जननी।
देती जन्म, पुरुष को वो।।
सहधर्मिणी बन, निभाती साथ।
एक आह भी, न लाती साथ।।
बन माता, करती दुलार।
बिन भेद, देती सभी को प्यार।।
देव भी, उसकी शरण मे।
आकर, पाते मोक्ष  है।।
पिला, संस्कार की धुट्टी।
न करे, किसी दिन छुट्टी।।
अधिकारों खातिर, न लड़ती।
जबकि पाती, जीवन घुड़की।।
जागो नारी, जागो अब।
जीवन को, करो दीप्त।।
करो, कर्तव्यों को उजागर।
संस्कारों का, तो तुम सागर।।

अन्जनी अग्रवाल "ओजस्वी" - कानपुर नगर (उत्तरप्रदेश)

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