जय जवान - कविता - अनिल भूषण मिश्र

हे अरिमार्ग के रोधक
सतत सुरक्षा के बोधक।
तुम धीर वीर निर्भीक कहलाते हो
मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण लगाते हो।
गर्मी ठण्डी हो या बरसात
दिन दोपहरी या रात प्रभात।
नहीं कभी युद्धों से कतराते हो
देश में आफ़त कैसी आये फौरन उससे टकराते हो।
हर हाल में वीरों जीत का परचम तुम लहराते हो
काँप उठे दुश्मन का कलेजा ऐसा शौर्य दिखलाते हो।
साहस शौर्य तुम्हारा देख दुश्मन भी थर्राता है
बना बलि का बकरा वह तो केवल भेजा जाता है।
परिस्थितियाँ हों कैसी विषम
दुश्मन में कभी नहीं आता वो दम
जो रणभूमि में रोक सके तुम्हारे बढ़ते विजयी कदम।
हिन्द देश की शान हो तुम
हम सबके भूषण अभिमान हो तुम।
नाज है करता तुम पर पूरा हिंदुस्तान
सब मिल बोलें जय जवान जय जवान।

अनिल भूषण मिश्र - प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

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