मैं तेरे प्यार में पागल आज,
एलान अभी करता हूँ सरेआम।
मैं अपने लहू से लिख सकूँ तो,
दिल पर बस तेरा ही एक नाम।
मेरे लिए इस जहां में कहीं,
तुझ-सा नहीं है कोई मुकाम।
जहाँ मुझको कुछ सुकून मिले,
और दिल की धड़कनों को आराम।
तेरे नशीले ये कजरारे नैन,
दिल को सदा लगे अभिराम।
मानो साहिल की खोज में,
कश्तियाँ चल पड़ी हो अविराम।
मेरी जुबां पर बस तेरा ही नाम,
चाहे सुबह हो या हो शाम।
मैं अपने लहू से लिख सकूँ तो,
दिल पर बस तेरा ही एक नाम।
कानाराम पारीक "कल्याण" - साँचौर, जालोर (राजस्थान)