जयति जय माँ - कविता - सुषमा दीक्षित शुक्ला

जयति जय  माँ कात्यायनि,
जयति  जय  जय दुर्गमा।

हे! मातु हम तो शिशु तुम्हारे,
अब मेरा कल्याण कर माँ।

दुनिया के जननी तू  मैया,
तुझ पर अर्पण  तन मन धन।

तू माता  है  तू दाता है,
तू ही जीवन और मरन।

नजरें कभी न फेरो हे! माँ
इतनी सी फरियाद मेरी।

भूल चूक  सब क्षमा करो माँ
दुनिया हो आबाद मेरी।

सारी दुनिया रूठ भी जाये,
तुम ना रूठो प्यारी माँ।

सारी दुनिया अगर त्याग दे,
नही त्यागती न्यारी माँ।

तेरा धन है तेरा मन है,
तेरा ही ये तन मेरा।

तेरा सबकुछ तुम्हें समर्पित,
क्या लागे इसमें मेरा।

सुषमा दीक्षित शुक्ला - राजाजीपुरम, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

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