एशिया के प्रकाश - कविता - प्रशान्त "अरहत"

महामाया के राज दुलारे, 
ज्ञान के आकाश हैं वो।
सब कहें है बुद्ध जिनको, 
एशिया के प्रकाश हैं वो।

ध्यान से निर्वाण तक का 
मार्ग बतलाया है हमको।
बौद्ध धम्म के नाम से एक,
धर्म बतलाया है हमको।

उन ने बतलाया जगत को, 
मृत्यु क्या है, सत्य क्या है।
उलझनों की इस डगर में, 
ध्यान का महत्व क्या है।

पंचशीलों के अनुपालन से,
आचरण को शुद्ध करना।
पारमिताओं को पूर्ण कर,
कैसे खुद बुद्ध करना।

अपने अनुभव से उन्होंने,
बुद्धत्व का है सार बताया।
इसको पाने के लिए, 
विपश्यना का मार्ग बताया।

चार आर्य सत्य हैं जो
वो बताये हैं सभी को।
और दुखों से मुक्ति का, 
मार्ग बताये हैं सभी को।

सभी जीवों के प्रति करुणा 
का, ह्रदय में भाव रखना।
प्रज्ञा, शील, समाधि से, 
नियमित एक लगाव रखना।

सारी दुनिया का मात्र एक,
वैज्ञानिक यह धर्म है बस।
इसमें नहीं पाखण्ड है, 
मैत्री, समता का मर्म है बस।

दीन-दुखियों और दलितों के
जीवन की आस हैं वो।
सब कहे है बुद्ध जिनको,
एशिया के प्रकाश हैं वो।

प्रशान्त "अरहत" - शाहाबाद, हरदोई (उत्तर प्रदेश)

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