डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" - नई दिल्ली
इन्तज़ार ए मुहब्बत - कविता - डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
शुक्रवार, अक्टूबर 09, 2020
तुम्हारा इन्तज़ार और बेशुमार हसरतें,
बीते कितने वासन्तिक और मधुश्रावण प्रिये।
जलती रही दावानल विरह के आतप हृदय में,
छटेंगे कोहरे आशा मन किरणें खिलेंगी हिये।
उपहास बन नित चितवन मुकलित रसाल मुदित वन,
कोयल पञ्चम स्वर कूक से चिढ़ाता विरही प्रिये।
बहे पूरबैया मन्द मन्द स्पन्दित विचलित मन,
उदास मन अभिलाष लखि घनश्याम नभ मिलन के।
निहारती निशिवासर बस सरसिज नैन निशिचन्द्र,
पीड़ लखि तारे गगन पत्थर दिल करे परिहास प्रिये।
लजाती सकुचाती कुमुदिनी विहँसती पा चन्द्रहास,
पल पल जीवन कठिन तुझ बिन मिलन गलहार प्रिये।
लखि हर्षित चकोर युगल अनुराग मधुरिम मिलन,
बरसे घन भींगे तन पीन पयोधर वसन प्रिये।
सुरभित कमल कुसुमित वदन रतिराग उद्वेलित मन,
तजो मन राग प्रिय मधुश्रावण पुष्प पराग प्रिये।
इन्तज़ार ए मुलाकात सनम सही नहीं जाती,
भूलें हसरत विरह, करें बेशुमार मुहब्बतें।
मैंने हमदम प्रियतम किया तन मन तुझे अर्पण,
आओ प्रिय स्वप्न प्रीति मंजिल आशियाँ बनाएँ।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर