आनन्द कुमार "आनन्दम्" - कुशहर, शिवहर (बिहार)
हैवान - कविता - आनन्द कुमार "आनन्दम्"
बुधवार, अक्टूबर 07, 2020
इन भोली सूरत के पिछे, है हैवान बसा
क्या है? तुझको पता।
भोली सूरत काले नैना, है चाल मस्त मौला
दिन को है बेवाक वो घूमें, जैसे कोई परिंदा
शाम को लौटें घर को आयें, दिए काम को अंजाम
ऐसी-ऐसी बात वो करते, लगता है कोई इंसान
तुझको लूटा मुझको लूटा, सब घर को किया सुनसान
फिर भी न समझे ये नादान, कहाँ है ये हैवान..!
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर