प्रवीन "पथिक" - बलिया (उत्तर प्रदेश)
कुछ पुरानी यादें - गीत - प्रवीन "पथिक"
बुधवार, अक्टूबर 07, 2020
तेरी आँखो में चाहत के,
चिन्ह वो अपने देखें हैं।
अपनी हर खुशी में,
मुस्कान तुम्हारी पाई है।
गमों की परछाई में,
प्यार तुम्हारा छलका है।
ख्वाबों की शबनम ने,
चाहत की प्यास बुझाई है।
जुदाई की नुकीली लहरें चुभती हैं,
स्मृतियों की आँखो में कोर समाती है।
पाने की हृदय में आभा खिलती है,
वह यादें बनकर मचल_२ बहकाती है।
मस्तिष्क में छा जाती मीठी_२ सी यादें,
गुजरी पल पल की बातें हमें सताती है।
आँखो में तेरा बिम्ब उभरता आता है,
हृदय सिंधु में सौ सौ तरंग जगाती है।
वह थे प्यारे पल निगाहें,
एक दूजे को ढूँढा करती थी।
कल्पना के सागर में थे डूबे,
आँखो में नींद न होती थी।
उस क्षण प्रेमविपिन अपना,
खिला खिला सा रहता था।
जीवन में फूलों की खुशबू,
उन्मत्त हो महका करती थी।
बस, खुशबू वही पाने की,
अभिलाषा बनी हुई है।
आँखो में आकर आँसू ,
इस आस में रुकी हुई है।
कि, जीवन के दुर्धर पथ पर,
खोए हुए भी मिल जाते हैं।
जीवन है तो नक़मी मिलन होगा ही,
कट जाती ग़म की काली स्याह रातें हैं।
साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos
साहित्य रचना कोष में पढ़िएँ
विशेष रचनाएँ
सुप्रसिद्ध कवियों की देशभक्ति कविताएँ
अटल बिहारी वाजपेयी की देशभक्ति कविताएँ
फ़िराक़ गोरखपुरी के 30 मशहूर शेर
दुष्यंत कुमार की 10 चुनिंदा ग़ज़लें
कैफ़ी आज़मी के 10 बेहतरीन शेर
कबीर दास के 15 लोकप्रिय दोहे
भारतवर्षोन्नति कैसे हो सकती है? - भारतेंदु हरिश्चंद्र
पंच परमेश्वर - कहानी - प्रेमचंद
मिर्ज़ा ग़ालिब के 30 मशहूर शेर