जिनको खिलते चमन अखरते हैं
वो मुहब्बत की बात करते है
इश्क़ पत्थर कभी नहीं करते
ये तो फूलों के दिल से डरते हैं
दिल जलाती है रोशनी जिनका
वो अँधेरों को दिल में भरते हैं
प्यार को मानते इबादत जो
वो कँहा झूठ से सँवरते हैं
दर्द बसता है जिनकी आँखों में
पाप कब उनके घर ठहरते हैं
कौन पत्थर है, कौन फूल यहाँ
प्रश्न पल- पल यही उभरते हैं।।।।
ममता शर्मा "अंचल" - अलवर (राजस्थान)