जो अंधेरे से रोशनी में लाए - कविता - चन्द्र प्रकाश गौतम

जो   अंधेरे  से   रोशनी  में   लाए
कोयले     से      हीरा       बनाए 
हम भूल कैसे जाएं  ऐसे गुरु  को
जो बहते नाव  को   दिशा  बताए
जो डांट और प्यार  से   समझाएं
जीवन की डगर को  सरल बनाए
हम  आभारी हैं   उनके   ज्ञान के 
जो  विपरीत  परिस्थितियों  में भी
सम्भलने    की   कला    बतलाए 
जो जात धर्म से   ऊपर    उठकर 
ज्ञान    की      वर्षा      करता   है 
जैसे  वृक्ष     आंगन     में    अपने 
सभी     को      छाया      देता   है 
भटके   उलझे  प्राणी     में जो 
ज्ञान  की       ज्योति      जलाए
हम भूल  कैसे  जाएं  ऐसे  गुरु  को 
जो  बहते   नाव   को  दिशा  बताए
खुद   जलकर     प्रकाश    फैलाए
दुनिया       को     ज्ञान     कराए 
न        झुके      न       झुकने     दे 
ऐसी  हुनर  ऐसी   कला     बतलाए 
ऐसे गुरु के छाया में सुबह शाम करते हैं 
उनके चरणों को सत् सत् प्रणाम करते हैैं
सादगी      सच्चाई      वफादारी    से 
अग्रिम  पथ  की   जो   दिशा    सुझाए 
हम भूल  कैसे    जाएं  ऐसे   गुरु   को
जो    कोयले     को   हीरा     बनाए 
अंधेरे      से     रोशनी     में      लाए 
भटके     उलझे     प्राणी    में     जो 
ज्ञान      की        ज्योति      जलाए
भटके  उलझे      प्राणी      में      जो 
ज्ञान     की        ज्योति          जलाए

चन्द्र प्रकाश गौतम - मीरजापुर (उत्तर प्रदेश)

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