बेटियाँ - कविता - डॉ. राजकुमारी

जिस देश में शिशु बालिकाएं कोख में 
औजारों से अंग-अंग कटवाई जाती हैं।
पेटी, डस्टबिन, नालों, मन्दिर की सीढ़ी
अनाथालयों के आगे भी पाई जाती हैं।

कभी बाल विवाह, अनमेल विवाह कर 
पिता सरीख खूंटे से ब्याही जाती हैं।
असुंदरता, दहेज़ प्रलोभियों के द्वारा
जिंदा जलाई, फांसी लटकाई जाती हैं।

मन्दिर, मस्जिद मठाधीशों के स्थलों पर
परम्परा बताकर देवदासी बनाई जाती हैं।
भरे बाज़ार कुछ कोठो पर वरगला कर
तादाद में जिस्मफरोशी धंधे में लाई जाती हैं।

निर्भया, आसिफा, पायल तड़वी सी
होनहार जातीय शिकार बनाई जाती।
प्रेम इंकार पर, सुंदर लड़कियां भी यहाँ
कुंठितों द्वारा, एसिड से झुलसाई जाती हैं।

स्वच्छंद प्रेम, अंतर्जातीय विवाह करने पर
बंदूकों से खून की नदी बहाई जाती है।
निकले जोअधिकार मांगने, गुंडई जाती है
हां! खोखली बधाई सोशल चिपकाई जाती है।

डॉ. राजकुमारी - नई दिल्ली

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