कोरोना योद्धाओं को सलाम - आलेख - संस्कृती शाबा गावकर

कोरोना वैश्विक महामारी ने अब तक पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले लिया है। दुनिया भर में इस वाइरस की वजह से संक्रमण तथा मौत के आकड़े बढ़ते जा रहे है। ऐसी स्तिथि में फ्रंट लाइन वारियर्स तथा कोरोना योद्धा सामने आए जो अपनी जान हथेली पर रखकर इस वाइरस से लड़ रहे है।
कोरोना योद्धाओं में डॉक्टर, पुलिस, मेडिकल क्षेत्र से जुड़े हुए लोग, प्रशासन, मीडिया, सफाईकर्मी, गरीबों तक खाना पहुँचाने वाले, ऑनलाइन डिलिवरी करने वाले लोग इस संकट के दौरान दुकानों में राशन देने वाले आदि शामिल है। कोरोना महामारी में डॉक्टर अपनी जान की परवाह न करते हुए कई लोगों का इलाज़ करवा चुके है और कर भी रहे है। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मचारियों का अन्य लोगों के मुकाबले चार गुना ज्यादा संक्रमित होने का खतरा होता है। इसके साथ उनके परिवार को भी खतरा रहता है की कही डॉक्टर तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी वायरस लेकर घर ना आ जाए।

इस डर की वजह से कई डॉक्टर्स सेल्फ-आइसोलेशन में है जो कई महीनों से घर नहीं गए है। कई डॉक्टर्स लोगों का इलाज करते हुए खुद इस वाइरस से संक्रमित हुए तथा कई डॉक्टर लोगों की जान बचाते-बचाते खुद की जान गवा चुके है। तथा इस वाइरस से लढ़कर भी कई डॉक्टर्स फिर से अपना कर्तव्य निभाने में जुट गए है।

इस दौरान मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को शारीरिक तथा मानसिक चुनौतियों से झुंझना पड़ रहा है। उन्हें कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज़ करते दौरान एक स्पेशल किट पहननी पड़ती है इसके कारण वह गर्मी से झुंझ रहे है और वह जिस मास्क का इस्तमाल करते है उसकी वजह से उनका चहरा खराब हो रहा है। चार-पाँच घंटे लगातार वह मास्क और चश्मा पहने के कारण उनके चहरे पर निशान पड़ रहे है। किट पहनने के उपरांत वह कई घंटो तक वॉशरूम तथा खाना नही खा पाते है। कर्मचारी के परिवार वालो को एक ड़र सा लगा रहता है तथा उन्हें उन पर गर्व भी होता है। विशेषज्ञों का कहना है की जिस तरह स्वास्थ्यकर्मी वाइरस के संपर्क में आ रहे है, उतना शायद कोई और नहीं।

डॉक्टर के साथ-साथ जो अस्पताल में सफाई कर्मी होते है उन्होंने भी डॉक्टर्स का इस युद्ध में पूरा साथ दिया है। इस बीमारी के दौरान स्वच्छता का पालन करना अति आवश्यक बन जाता है। 

एक तरफ डॉक्टर्स, मेडिकल कर्मचारी तथा दूसरी तरफ 'लढाई के शूरवीर योध्दा' बनकर पुलिस हमारे सामने आए। जिन्होंने कोरोना संक्रमण के बचाव की दिशा में अपने सकारात्मक कदम बढ़ाए है। जहाँ कोरोना से हर कोई डरा सहमा है वहा पुलिस, जनता की सेवा में सतत खड़ा रहा है। कोरोना की इस विकट परिस्थिति में 'लॉकडाउन' इन पुलिस कर्मियों की वजह से ही सफल हो पाया है। जहाँ कोरोना के विषाणु चारों तरफ फैले हुए है, वहा पुलिस कर्मी निर्भीकता से अपना फ़र्ज़ अदा कर रहे है। अपने परिवार जनो तथा अपने बच्चों से दूर बैठ कर खाना खा रहे है। मानवता की सेवा करते हुए कई पुलिस कर्मचारी इसके चपेट में आ चुके है। पुलिस ने कई प्रतिबंध समाज की सुरक्षा के लिए बनाए है। उन्होंने कभी डाँट-फटकार तथा डंडे तक उठाए है। सिर्फ जनता की भलाई,उनकी सुरक्षा के लिए। कई जगह पर पुलिस कर्मियों ने जरूरतमंदों को खाना तथा राशन भी दिया है।

कई अभिनेता तथा समाज सेवक और आम जनता भी इस महामारी के दौरान गरीब तथा जरूरतमंदों की मदत करने के लिए सामने आए है। लॉकडाउन की वजह से रोजगार ठप्प होने के कारण कई लोगों की रोजी रोटी बंद हो गयी थी। उनकी मदत में कई लोगों ने अपने हाथ आगे बढ़ाए। जिन्होंने उन्हें एक वक़्त की रोटी देकर उनकी दुआए ली है। कई इलाकों में लोगों ने राशन भी बाटा है। तो कई जगहों पर गरीबों को भोजन भी परोस गया है। ताकि ऐसे संकट भरे काल में कोई भूखा ना रहे। वही सामाजिक संस्थाओं ने रोटी बैंक के जरिए जरूरतमंदों को राशन भोजन आदि वितरित किया जा रहा है। 

इस कोरोना वाइरस के दौरान कई लोग अपने-अपने तरीके से समाज सेवा तथा कोरोना योध्दा बन कर हमारे सामने आए है। जिस तरह सेना सीमा पर देश की रक्षा कर रहा है वैसे आज डॉक्टर एक योद्धा की तरह सेवा कर रहा है। पुलिस ने देश के खातिर अपनी जान तक दांव पर लगा दी है। लोगों का यह कर्तव्य है की वह लॉकडाउन का पालन करते हुए सामाजिक दूरी बनाए रखे। डॉक्टरों का शुक्र अदा करने का बस एक ही तरीका है 'घर पर रहना'। 

सरकार ने कोरोना योद्धाओं को सम्मानित तथा उन्हें धन्यवाद देने के लिए तीनों भारतीय सेनाओं अपने-अपने अंदाज़ में सलामी दी हैं। दुनिया का हर एक आदमी इस महामारी के काल में इन तमाम योद्धाओं को शत-शत नमन करता है। डॉक्टर, पुलिस, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और नर्सों को कोविड़-19 के रोगियों का इलाज़ करने और उन्हें नया जीवन देने के लिए हम धन्यवाद करते है। 

संस्कृती शाबा गावकर - मड़गाँव (गोवा)

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