तो बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों,,
अब के जो रास्तों में टकराएंगे,
तो एक दूजे से नज़रें फेर लेंगे हम दोनों,,
की अब के ज़ब मिलेंगे,
तो बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों,,
ये दुनिया इश्क़ को जुर्म समझती है,
किसी को शक़ ना हो, के एक रिश्ते में है हम दोनों,,
की अब के ज़ब मिलेंगे,
तो बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों,,
मुलाकातों में लोग वस्ल के मायने निकलते है,
अब के सिर्फ ख़ाबों में मिलेंगे हम दोनों,,
की अब के ज़ब मिलेंगे,
तो बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों,,
मैं तुम्हें देख कर पलकें झुका लूंगा, तुम भी जरा सा मुस्करा देना,
कुछ इस तरह मोहब्बत मुकम्मल करेंगे हम दोनों,,
की अब के ज़ब मिलेंगे,
तो बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों,,
और कुर्बत में भी फ़ासले इतने तो जरुरी हो के दामन पर तुम्हारे कोई दाग़ ना लगे,
संस्कारों की कुछ ऐसी हिफाजत से मिलेंगे हम दोनों,,
की अब के ज़ब मिलेंगे,
तो बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों,,
की अब के ज़ब मिलेंगे,
तो बेहद नफरत से मिलेंगे हम दोनों,,
अंकित राज - मुजफ्फरपुर (बिहार)