फिर वही प्यार दो - कविता - रवि शंकर साह

दिल में दर्द उठ रहा,
याद तुम्हें कर रहा।
दिल की पुकार सुन।
तुम फिर आवाज दो।

प्यार की आवाज पर
बाँह तुम पसार दो।
फिर वही दुलार दो।
फिर वही प्यार दो।

छिन्न भिन्न है ज़िन्दगी,
जिंदगी सवाँर दो।

बेशुमार दर्द है
रातें भी सर्द हैं।
बातों में दर्द है।
मौसम बेदर्द है

अश्रुमय पलक झुके है
स्वप्न उन्हें साकार दो।

चाँद आज सो रहा,
चाँदनी निराश है।
देखो तो वसुन्धरा भी
जैसे कुछ उदास है।

तिल तिल मैं जल रहा।
बन शमा की रौशनी।
दिल का दर्द कह रहा है 
बाँह तुम पसार दो।

जिंदगी तुम मेरी 
फिर से संवार दो
एक बार फिर मुझको
प्यार से आवाज दो।

रवि शंकर साह - बलसारा, देवघर (झारखंड)

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