जय श्री गणेश - कविता - अतुल पाठक

नया काम कोई भी करता,
जय श्री गणेश है नाम वो लेता।

सबसे पहले पूजा जाता,
वह हैं ऋद्धि सिद्धि के दाता।

मोदक उनको बहुत है भाता,
हम सबके वह भाग्यविधाता।

मूषक है गणपति की सवारी,
पूजें घर-घर नर और नारी।

शिव पार्वती के राजदुलारे,
गणपति जी सबके हैं प्यारे।

भक्ति करो मन से गणेश की,
हरते हैं सबके दुःख क्लेशजी।

देवलोक के तुम सरताज,
शत-शत नमन करें हे विघ्नराज।

अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)

Join Whatsapp Channel



साहित्य रचना को YouTube पर Subscribe करें।
देखिए साहित्य से जुड़ी Videos