जन्माष्टमी पावन त्यौहार है - कविता - करन त्रिपाठी

मुरलीधर की शरण में तो ये जग सारा है। 
आया जन्माष्टमी पावन त्योहार प्यारा है।। 

मोहन की मुरली का य़ह दीवाना संसार है। 
नटवर की महिमा तो जहां में अपरंपार है।। 

मुरली बजाए कान्हा छेड़े मधुरिम तान है। 
गोपियों के मन को भी भाए प्रेम गान है।। 

प्यार का प्रतीक और मित्रता का मान है। 
गोपों की प्रेम धुन और अर्जुन का ज्ञान है।। 

सुदामा की दीनता का सच्चरित्र प्रमाण है। 
बलदाऊ का बल कुबजा का कल्याण है।। 

असुरों के विनाशक, प्रजा के रखवाले है। 
गोवर्धन धारी, गिरधारी, श्याम मतवाले है।। 

करन त्रिपाठी - हरदोई (उत्तर प्रदेश)

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