बारिश की रूमानी फुहार - कविता - अतुल पाठक

बारिश की आई रूमानी फुहार,
हुआ है मदहोश दिल बेकरार।

प्रेमी संग प्रेमिका गाए प्रेमगीत मल्हार,
आसमां भी हो रहा खूब गुलज़ार।

मौसम अंगड़ाई लेता आती बहार,
वो पगली मुस्कुराती बार बार।

प्रेमप्रसून खिल रहे हृदय में,
सावन में बरसे बेशुमार प्यार ही प्यार।

अरमान-ए-गुल खिले दिल लगा महकने
प्यार की रौनक है प्यार ही उपहार

अतुल पाठक "धैर्य" - जनपद हाथरस (उत्तर प्रदेश)

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