प्यार का मौसम आ गया - ग़ज़ल - मोहम्मद मुमताज़ हसन

आओ के प्यार का मौसम आ गया,
बारिश-ए-बहार का मौसम आ गया!

फ़ज़ा में बिखरी है खुशबू-ए- मिट्टी,
गुल-ए-गुलज़ार का मौसम आ गया!

नए पत्तों से रौशन दरख़्तों के साए हैं,
फूलों के निखार का मौसम आ गया!

महक  उठेगा  गुलशन-गुलशन सारा,
फसल-ए-बहार का मौसम आ गया!

हकीकत-बयानी कर देगा चेहरा,
आईना-दार का मौसम आ गया!

डस लेगी तन्हाई तुझको मुमताज़,
लो अश्क़बार का मौसम आ गया!

मोहम्मद मुमताज़ हसन - रिकाबगंज, टिकारी, गया (बिहार)

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